राखी मुहूर्त जाने :
रक्षा बंधन एक पवित्र त्योहार है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाते है। लेकिन इस साल रक्षाबंधन त्योहार पर भद्रा का साया रहेगा। जब भी भद्राकाल होता है तो राखी बांधना शुभ नहीं होता है। राखी हमेशा भद्राकाल के बाद ही बाँधी जाती है।
राखी मुहूर्त और दिन के बारे में जाने :
अंतिम सावन सोमवार के दिन 19 अगस्त को रक्षा बंधन का त्यौहार बनाया जा रहा है। सोमवार को शिवलिंग का गंगाजल और दूध से अभिषेक कर बेलपत्र और चढ़ाएं। इसके बाद राखी का शुभ उत्सव 1:30 बजे से रात 9:07 बजे तक रहेगा। तो इसी समय में अपने भाई को राखी बांधें। रक्षाबंधन बहन-भाई के स्नेह और प्यार का त्योहार होता है। और अगर जिन बहनों के भाई नहीं तो वे अपने इष्टदेव और घर पर लगे किसी पेड़ को राखी बांध सकती हैं।
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रक्षाबंधन के लिए मंत्र :
रक्षाबंधन पर बहनें भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं तो ऐसे में राखी बांधते समय इस मंत्र को जरूर पढ़े।
“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल: “
राखी बांधने का तरीका :
सबसे पहले सुबह स्नान और पूजा पाठ करके फिर बहन भगवान गणेश जी का ध्यान करते हुए भाई के माथे पर चंदन, कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं। फिर भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधे। इसके बाद भाई को नारियल व मिठाई खिलाएं और दीपक जलाकर आरती करें। और फिर अपने इष्ट देवी या देवता का स्मरण करते हुए भाई की सुख समृद्धि और सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।
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भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते :
जब भी रक्षाबंधन पर भद्राकाल रहता है तो उस समय राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसे में भद्राकाल के दौरान राखी बांधना सही नहीं होता। भद्राकाल के शुरू होने से भद्राकाल के खत्म होने के तक राखी नहीं बांधी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य और पत्नी छाया की पुत्री व भगवान शनि की बहन हैं। भद्रा जन्म के समय उग्र स्वभाव की थीं। भद्रा यज्ञों में बाधा पहुंचाने लगी और मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा सारे जगत को परेशान करने लगी। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि रावण की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी इसी कारण से रावण का वध प्रभु राम के हाथों से हुआ। इसी कारण भद्राकाल में राखी नहीं बांधी जाती है।