एनडीए और इंडिया के बीच चुनाव में ओम बिरला को 18वीं लोकसभा अध्यक्ष चुना :
कोटा के भाजपा सांसद ओम बिरला 1985 में बलराम जाखड़ के बाद दो पूर्ण कार्यकाल संभालने वाले दूसरे लोकसभा अध्यक्ष बन गए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को कुर्सी तक ले जाने से पहले हाथ मिलाया।
पीएम मोदी ने कहा कि नवनिर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपातकाल की कड़ी निंदा की और यह भी बताया कि किस तरह लोकतंत्र का गला घोंटा गया है। यह बात बुधवार 26 जून को ओम बिरला के लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद आयी है।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपातकाल लगाने की निंदा की और तत्कालीन इंदिरा गांधी के फैसले को संविधान पर हमला बताया जिसका विपक्ष ने विरोध किया|
पीएम मोदी ने ओम बिरला को बधाई देते हुए कहा कि वह पांच वर्षों के लिए लोकसभा अध्यक्ष के मार्गदर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
पीएम मोदी मोदी ने क्या कहा :
पीएम मोदी ने कहा आदरणीय अध्यक्ष महोदय जी यह सौभाग्य है कि आप दूसरी बार इस कुर्सी पर विराजमान हो रहे हैं मैं सदन की ओर से बधाई देना चाहता हूं लोकसभा में दूसरी बार इस पद पर बैठना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है उम्मीद है कि आप अगले पांच साल तक हमारा मार्गदर्शन करेंगे। और अंत में मोदी ने कहा कि ओम बिरला की अध्यक्षता में लिए गए फैसलों को संसदीय इतिहास में स्वर्णिम काल माना जाएगा। आपकी शैली हमारे नये सांसदों को प्रेरित करेगी। आपकी मुस्कान पूरे सदन को खुश रखेगी।
राहुल गांधी ने क्या कहा :
राहुल गांधी ने भी इंडिया गठबंधन की ओर से अध्यक्ष ओम बिरला को बधाई दी। और कहा की यह सदन भारत के लोगों की आवाज का जन प्रतिनिधित्व करता है और आप उसके आखिरी निर्णायक हैं। राहुल गांधी ने कहा सरकार के पास राजनीतिक शक्ति है और इस बार विपक्ष ने भारतीय लोगों की आवाज का अधिक प्रतिनिधित्व किया है राहुल गांधी ने यह भी कहा कि विपक्ष सदन के कामकाज में अध्यक्ष की सहायता करेगा। राहुल गांधी ने आखिरी में कहा की हम चाहते हैं सदन अच्छी तरह से विश्वास के आधार पर काम करे। और विपक्ष की आवाज को सदन में प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दे |
पीएम मोदी ने युवाओं के लिए क्या कहा :
पीएम मोदी ने कहा की आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया लेकिन युवाओं को इसके बारे में जानने की जरूरत है यह इस बात का सटीक उदाहरण है कि संविधान को जब कुचला जाता है जनमत को दबाया जाता है तो क्या होता है। आपातकाल के बाद की घटनाओं ने तानाशाही का उदाहरण पेश किया था ऐसा करना प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिये ठीक नहीं था जिससे की जनता को तानाशाह झेलना पड़े।