झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन :
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बागी होने और पार्टी नेतृत्व पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाने और तीन विकल्प होने “(1)सेवानिवृत्त होना, (2)नई पार्टी शुरू करना, (3)किसी अन्य पार्टी में शामिल होना ” से सभी की निगाहें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के अगले कदम पर क्योंकि ऐसी चर्चाएं सामने आ रही हैं कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। झारखंड सरकार की बागडोर चंपई सोरेन द्वारा कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को जो संरक्षक शिबू सोरेन के बेटे हैं को सौंपने के दो महीने में ही संकट आ गया। और इस साल के अंत में झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होंगे।
यह भी पढ़ें : पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड : थाईलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बताया :
रविवार को चंपई सोरेन कि उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा के बारे में बताया की 31 जनवरी को तूफानी घटनाक्रम के बाद इंडिया अलायंस ने मुझे राज्य की सेवा के लिए झारखंड का 12वां मुख्यमंत्री के लिए पद दिया। और अपने पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक मैंने पूरी निष्ठा और परोपकार के साथ राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया था।
चंपई सोरेन ने एक पोस्ट में बताया की हमने जो शेयर किया उसके सारांश में राज्य की जनता और समाज के हर वर्ग और राज्य के व्यक्ति का ध्यान है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले 67 वर्षीय नेता चंपई सोरेन को पद छोड़ने के लिए कहा गया। 28 जून को चंपई सोरेन ने झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत खो दी और इसी कारण उन्हें सीएम पद से हटा दिया। चंपई सोरेन ने बताया कि 30 जून को होली दिवस समारोह के बाद बताया गया कि अगले दो दिनों के लिए उनके सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड नर्स समाचार : अस्पताल से घर लौट रही नर्स के साथ बलात्कार
पूर्व मुख्यमंत्री के बारे में और जाने :
लोकतंत्र में इससे ज्यादा अपमान क्या हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री का कार्यक्रम कोई दूसरा व्यक्ति रद्द कर दे। इतना अपमान के बावजूद मैंने कहा कि सुबह नियुक्ति पत्र बंटेगा और उसके बाद विधायक दल की बैठक होगी जिसमे मैं शामिल हो जाऊंगा। लेकिन मुझे बैठक के लिए भी मना कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने पोस्ट में बताया की पिछले चार दशकों के बेदाग राजनीतिक सफर में पहली बार मैं अंदर से टूट गया था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। दो दिनों तक मैं चुपचाप बैठकर आत्मचिंतन करता रहा, मुझे सत्ता का जरा भी लालच नहीं था लेकिन अपने ही लोगों द्वारा दिए गए दर्द को मैं कहां बयां करता।
चंपई सोरेन ने बताया कि विधायक दल की बैठक में उनसे इस्तीफा देने को कहा गया। मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं था इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया लेकिन मेरे स्वाभिमान पर जो आघात हुआ उससे मन भावुक हो गया।
और पिछले तीन दिनों से मेरे साथ जो अपमानजनक व्यवहार हो रहा था उससे मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उस पार्टी में मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है जिस पार्टी के लिए मैंने अपना जीवन समर्पित कर दिया।