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अरविंद केजरीवाल : सीबीआई ने जमानत का विरोध किया

अरविंद केजरीवाल : सीबीआई ने जमानत का विरोध किया

अरविंद केजरीवाल पर सीबीआई :

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार, 29 जुलाई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही ठहराया और उन्हें शराब नीति मामले का सूत्रधार भी बताया। सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कीअरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बिना जांच नहीं हो सकती थी और उन्हें घोटाले का मास्टरमाइंड बताया। अरविंद केजरीवाल जो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी लेकिन वे अभी भी जेल में हैं क्योंकि उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।

सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करते हुए केजरीवाल और अन्य मामलो के खिलाफ अंतिम आरोपपत्र दाखिल किया। सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि जैसे उनकी जांच आगे बढ़ती गई उन्हें अरविंद केजरीवाल को फंसाने वाले और सबूत मिलते गए। सीबीआई द्वारा दाखिल आरोपपत्र में केजरीवाल समेत छह लोगों के नाम हैं लेकिन उनमें से पांच को गिरफ्तार नहीं किया गया अधिवक्ता डीपी सिंह ने एएनआई को जानकारी दी।

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वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी :

अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने अदालत में कहा कि सीबीआई द्वारा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी केवल एक बीमा गिरफ्तारी थी क्योंकि केजरीवाल को दिल्ली आबकारी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी गई थी। फिर सतेंदर अंतिल मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिन मामलों में गिरफ्तारी प्रावधानों का पालन नहीं किया जाता उनमें आरोपी को जमानत लेने का अधिकार है।

फिर अभिषेक मनु सिंघवी ने कह दिया कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है सीबीआई का पूरा मामला केवल सुनी-सुनाई बातों पर ही आधारित है।

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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा ऐसा नहीं है कि यह भ्रष्ट व्यक्ति एक कमरे में बैठकर नीति तय करते है। कुल मिलाकर नौ समितियां और कम से कम 50 नौकरशाह इसमें शामिल होते थे। यहां मुख्यमंत्री अंतिम व्यक्ति नहीं थे यहां तक ​​कि एलजी ने भी हस्ताक्षर किए थे। सिंघवी ने बताया कि सीबीआई केजरीवाल को अफवाहों के आधार पर पकड़ने की कोशिश कर रही है यह तो आपराधिक दायित्व दिखाने का तरीका नहीं है।

मनु सिंघवी ने टिप्पणी करते हुए कहा :

क्या यह लोकतंत्र के लिए एक समान खेल का मैदान है?
वे धारणाओं और अफवाहों के आधार पर उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं?
क्या आपराधिक दायित्व से निपटने का यही तरीका है?

 

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