मुख़्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अपडेट :
अरविंद केजरीवाल को शराब नीति घोटाले में दर्ज सीबीआई मामले में जमानत देने के लिए अलग से एक सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्ज्वल भुयान ने सीबीआई की आलोचना कर कहा कि सीबीआई देश की प्रमुख जांच एजेंसी होने के नाते उसे मनमानी तरीके से गिरफ्तारी नहीं करना चाहिए।
सीबीआई देश की प्रमुख जांच एजेंसी है। यह जनहित में है कि सीबीआई निष्पक्ष होना चाहिए। इस धारणा को दूर करने के लिए कि जांच निष्पक्ष तरीके से की गई और गिरफ्तारी मनमानी और पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई। कानून के शासन द्वारा संचालित एक कार्यशील लोकतंत्र में धारणा मायने रखती है। कुछ समय पहले इस अदालत ने सीबीआई की आलोचना करते हुए इसकी तुलना पिंजरे में बंद तोते से की थी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान :
यह टिप्पणी सामने आई जब जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान ने 5 अगस्त के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर आज फैसला सुनाया गया जिसके तहत सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देने और जमानत मांगने वाली उनकी याचिकाओं को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की छूट के साथ खारिज कर दिया गया था।
जस्टिस सूर्यकांत को सीबीआई की गिरफ्तारी में कोई अवैधता नहीं मिली लेकिन जस्टिस उज्जल भुयान ने सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर सवाल उठाए खासकर यह देखते हुए कि उन्हें शराब नीति घोटाले से उत्पन्न धन शोधन मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है।
जस्टिस उज्जल भुयान मैं यह समझने में असफल हूं कि जब वह ईडी मामले में रिहाई के कगार पर था तो उसे गिरफ्तार करने की इतनी जल्दी क्यों थी मेरा स्पष्ट मत है कि सीबीआई द्वारा अपीलकर्ता की विलम्बित गिरफ्तारी अनुचित है जब अपीलकर्ता को पीएमएलए के अधिक कठोर प्रावधानों के तहत जमानत दी गई है तो उसी अपराध के संबंध में सीबीआई द्वारा अपीलकर्ता को आगे हिरासत में रखना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
जस्टिस उज्जल भुयान ने बताया कि सीबीआई की गिरफ्तारी केजरीवाल को ईडी मामले में दी गई जमानत को विफल करने के लिए की गई थी। ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी मामले में विद्वान विशेष न्यायाधीश द्वारा अपीलकर्ता को जमानत दिए जाने के बाद ही उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई थी सीबीआई सक्रिय हुई और अपीलकर्ता की हिरासत की मांग कर ली।
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जज ने क्या कहा :
अरविंद केजरीवाल की जमानत न्यायशास्त्र सभ्य आपराधिक न्याय प्रणाली का एक पहलू है। एक आरोपी तब तक निर्दोष होता है जब तक कि उसे उचित प्रक्रिया के बाद सक्षम न्यायालय द्वारा दोषी साबित नहीं कर दिया जाता। यह न्यायालय दोहराता रहा है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है। इस प्रकार सभी स्तरों पर न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रायल की ओर ले जाने वाली प्रक्रिया और इसमें शामिल प्रक्रिया खुद सज़ा न बन जाए।
जस्टिस उज्जल भुयान ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के आदेश में उन पर लगाई गई दो ज़मानत शर्तों के बारे में भी गंभीर आपत्ति जतायी जिसके तहत उन्हें सीएम कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में प्रवेश करने और आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोक दिया गया था। लेकिन न्यायिक औचित्य और अनुशासन के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए जज ने आगे कुछ भी कहने से मना कर दिया।
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अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली :
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 12 जुलाई को कथित आबकारी नीति घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के सिलसिले में जमानत दे दी है। यह फैसला आम आदमी पार्टी (आप) के नेता के लिए बड़ी राहत है जिन्हें सीबीआई ने 26 जून 2024 को गिरफ्तार किया था।
अरविंद केजरीवाल को क्या पालन करना होगा ?
(1) – अदालत द्वारा स्पष्ट रूप से छूट न दी जाए सभी ट्रायल कोर्ट की सुनवाई में शामिल हों।
(2) – किसी भी कानूनी परिणाम से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताई गई शर्तों का पालन करें।
(3) – मामले के बारे में किसी भी कानूनी जटिलताओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य किए गए मामले की खूबियों पर सार्वजनिक रूप से चर्चा न करें।
(4) – अदालत की तारीखों पर ट्रायल कोर्ट में पेश हों और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में निर्धारित शर्तों का पालन करें।
(5) – सीएम के कार्यालय या दिल्ली सचिवालय का दौरा न करें। किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर न करें और गवाहों से बातचीत या मामले से संबंधित किसी भी फाइल तक पहुँच न रखें।
(6) – मामले को राजनीतिक बयानबाजी के लिए मंच के रूप में इस्तेमाल करने से बचें।