तिरुपति लड्डू विवाद :
तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में बने लड्डू को लेकर विवाद आंध्र प्रदेश में राजनीतिक तूफान बन गया है जिस पर पार्टी लाइन से हटकर नेताओं की प्रतिक्रिया आ रही हैं।
तिरुपति में प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाले तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु वसा की मौजूदगी का पता चलने के बाद लड्डू खास तौर पर इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार, 20 सितम्बर को आरोप लगाया कि पिछली वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार के दौरान श्री वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू में घी की जगह बीफ टैलो लार्ड, मछली के तेल और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।
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तिरुपति लड्डू विवाद पर और अपडेट :
लेकिन वाईएसआरसीपी ने चंद्रबाबू नायडू के आरोपों को खारिज कर राज्य सरकार को चुनौती दी कि वह गुरुवार को तेलुगु देशम पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट द्वारा इस्तेमाल घी के प्रयोगशाला परीक्षण के परिणाम जारी किए जाने तक सबूत पेश करे।
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और उनकी तेलुगु देशम पार्टी ने मंदिर के अपवित्रीकरण को लेकर अपने पूर्ववर्ती वाईएस जगन मोहन रेड्डी और उनकी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला और कहा मंदिर एक धार्मिक स्थल है जो राज्य और पूरे भारत में हिंदुओं के बीच गौरव का स्थान है।
तिरुपति लड्डू विवाद पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि मंदिर को स्वच्छ किया जाएगा और अपने प्रतिद्वंद्वी पर प्रतिदिन लगभग तीन लाख लड्डूओं के लिए आवश्यक मिलावटी घी की खरीद के लिए निविदाओं से बातचीत करने में भ्रष्टाचार करने और पूजनीय देवताओं का अपमान करने का भी आरोप लगाया है।
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तिरुपति लड्डू विवाद का सारांश जानें :
तिरुपति लड्डू के बारे में चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार, 18 सितंबर को अमरावती में एनडीए विधायक दल की बैठक में बताया की तिरुमाला लड्डू घटिया सामग्री से बनाया गया था उन्होंने घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया। और आगे बताया कि सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने प्रक्रिया को साफ बनाया और लड्डू की गुणवत्ता में भी सुधार किया है।
मंदिर के मौजूदा बोर्ड ने अभी तक इस विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन लड्डू तैयार करने में गुणवत्ता मानकों के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए चार सदस्यीय समितियो का गठन किया गया है।
गुजरात लैब रिपोर्ट जानें :
गुजरात में संचालित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन, खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र या सीएअलअफ की रिपोर्ट बुधवार, 17 जुलाई को जारी की गई जिसमें कहा गया है कि वाईएसआरसीपी के सत्ता में रहने के बाद भी प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा पाई गई है।
तिरुपति लड्डू और घी की रिपोर्ट में संकेत दिया कि घी में मछली के तेल, गोमांस की चर्बी के अंस थे और एक अर्ध-ठोस सफेद वसा उत्पाद है जो सूअर के वसायुक्त ऊतक को पिघलाकर प्राप्त किया जाता है।
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वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता ने क्या कहा जानें :
वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता वाई वी सुब्बा रेड्डी जो तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर चलाने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष भी हैं उन्होंने बताया की चंद्रबाबू नायडू राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं रेड्डी के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाला घी राजस्थान और गुजरात की देशी गायों के दूध से बनाया गया था।
वही टीटीडी के एक अन्य पूर्व अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी ने बताया कि घी की खरीद में शामिल अधिकारियों ने पिछली नायडू सरकार (2014-19) और वाई एस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी सरकार (2019-24) दोनों के तहत काम किया और कभी भी घी की गुणवत्ता को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया।
टीडीपी और सहयोगी दलों ने कहा चंद्रबाबू नायडू के बेटे और आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने भी वाईएसआरसीपी पर सत्ता में रहते हुए मंदिर में घटिया अन्नदानम या मुफ्त भोजन परोसने का आरोप लगाया।
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घी के नमूने जांच के लिए कब भेजे जानें :
स्वतंत्र ट्रस्ट टीटीडी की जल एवं खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला ने जुलाई के पहले सप्ताह में तिरुपति लड्डू और घी का नमूना लिया था। और टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमना रेड्डी के अनुसार इसे गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला एनडीडीबी कैल्फ को भेजा गया।
जांच में किस जानवर की चर्बी जानें :
राज्य के मंत्री और टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव नारा लोकेश नायडू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी की प्रयोगशाला जांच में मछली के तेल और गोमांस की चर्बी की मौजूदगी की पुष्टि हुई और उक्त घी के नमूने गुजरात में एनडीडीबी कैल्फ (पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र) को भेजे गए थे। आईटी मंत्री नारा लोकेश ने बताया घी खरीदने का टेंडर पिछली सरकार ने दिया था।