महाराष्ट्र ख़बर जानें :
महाराष्ट्र में स्थानीय मुस्लिम समुदाय की सिफारिशों के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई जिले में आधिकारिक ईद-ए-मिलाद की छुट्टी 16 सितंबर से 18 सितंबर तक पुनर्निर्धारित की है। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अनंत चतुर्दशी, गणेश उत्सव का अंतिम दिन 17 सितंबर है इसलिए मुस्लिम समुदाय ने 18 सितंबर को ईद मनाने का फैसला किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि उसने महाराष्ट्र सरकार की घोषणा के बाद ईद-ए-मिलाद की छुट्टी बुधवार, 18 सितंबर को कर दिया है। और आरबीआई ने भी अवकाश रद्द कर दिया है और मुंबई शहर और मुंबई उपनगरीय जिलों में स्थित भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालय बुधवार , 18 सितंबर 2024 को बंद रहेंगे।
महाराष्ट्र सरकार के एक आधिकारिक बयान में इस बदलाव की पुष्टि की गई जिसमें कहा गया है कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने स्वेच्छा से ईद-ए-मिलाद के जुलूस को 18 सितंबर को स्थानांतरित करने का फैसला किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों त्यौहार बिना किसी समस्या के मनाए जा सकें। गणपति विसर्जन, गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन के दिन मुंबई में भारी भीड़ होती है।
महाराष्ट्र में दूसरी बार लगातार ईद-ए-मिलाद का कार्यक्रम बदला :
मुस्लिम समुदाय ने सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने और ईद-ए-मिलाद को अच्छे से मनाने के लिए अपना कार्यक्रम बदलने का फैसला किया है।
महाराष्ट्र के अधिकारियों ने क्या कहा जानें :
अधिकारियों ने विज्ञप्ति में बताया कि स्थानीय कलेक्टर परिस्थितियों के अनुसार अन्य जिलों में ईद की छुट्टियों के इसी तरह के पुनर्निर्धारण पर निर्णय ले सकते हैं। रविवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता नसीम खान ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से ईद-ए-मिलाद के लिए 16 के बजाय 18 सितंबर को छुट्टी का आग्रह किया। उन्होंने अपने पत्र में कहा की अनंत चतुर्दशी मंगलवार, 17 सितंबर को और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने 18 सितंबर को ईद-ए-मिलाद मनाने का फैसला किया ताकि दोनों त्योहार धूमधाम और उल्लास के साथ मनाए जाए। इसी कारण ईद-ए-मिलाद 18 सितंबर मनाया जायेगा।
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महाराष्ट्र के पुलिस उपायुक्त पंकज दहाणे :
पुलिस उपायुक्त पंकज दहाणे ने बताया की पिछले साल की तरह इस साल भी मुस्लिम समुदाय ने अपनी धार्मिक गतिविधियों को फिर से तय करने का फैसला किया है ताकि विसर्जन प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके यह समुदायों द्वारा एकता और सह-अस्तित्व का एक उल्लेखनीय रूप है।
गणेश विसर्जन मुहूर्त :
दस दिन चलने वाले गणेश उत्सव का समापन गणपति बप्पा के विसर्जन के साथ होता है। गणेश विसर्जन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होता हैं। उस दिन अनंत चतुर्दशी है। जिन लोगों के घरों में 10 दिन के लिए गणपती बप्पा विराजते हैं वे गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी को ही करते हैं।
गणेश विसर्जन इस वर्ष गणेश विसर्जन मंगलवार, 17 सितंबर को है। उसी दिन अनंत चतुर्दशी है। पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन के लिए आवश्यक भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि सोमवार, 16 सितंबर दोपहर 3:10 बजे से मंगलवार, 17 अगस्त दोपहर 11:44 बजे तक है।
गणेश विसर्जन के लिए मंत्र :
गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किसी तालाब, नदी, झील आदि में करते हैं तो आप इस मंत्र को बोले।
(1) ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
(2) गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर!
मम पूजा गृहीत्मेवां पुनरागमनाय च।।
गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त :
(1) – सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) : 09:11 ए एम से 01:47 पी एम तक है।
(2) – अपराह्न का मुहूर्त (शुभ) : 03:19 पी एम से 04:51 पी एम तक है।
(3) – सायंकालीन मुहूर्त (लाभ) : 07:51 पी एम से 09:19 पी एम तक है।
(4) – रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) : 10:47 पी एम से 03:12 ए एम तक है।
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दिन के शुभ चौघड़िया मुहूर्त जानें :
(1) – चर-सामान्य मुहूर्त : 09:11 ए एम से 10:43 ए एम तक है।
(2) – लाभ-उन्नति मुहूर्त : 10:43 ए एम से 12:15 पी एम तक है।
(3) – अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त : 12:15 पी एम से 01:47 पी एम तक है।
(4) – शुभ-उत्तम मुहूर्त : 03:19 पी एम से 04:51 पी एम तक है।
ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलाद-उन-नबी :
ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पैगंबर मुहम्मद के जन्म का प्रतीक है वह धार्मिक और सामाजिक नेता जिन्होंने इस्लामी धर्म की स्थापना की यह उत्सव पारंपरिक रूप से 16 सितंबर को मनाया जाता है चंद्रमा की स्थिति के आधार पर दुनिया भर के मुसलमान उत्सव में भाग लेते हैं।
पैगंबर मुहम्मद का जन्म कब ?
पैगंबर मुहम्मद को इस्लाम धर्म का आखिरी संदेशवाहक यानि अल्लाहा का आखिरी दूत मानते है।पैगंबर मुहम्मद का जन्म 572 ई. में अरब के ऐतिहासिक शहर मक्का में हुआ इस्लामी कैलेंडरे के मुताबिक जिस दिन पैगंबर मुहम्मद का जन्म हुआ वह अरबी कैलेंडर के रबी उल अव्वल माह की 12वीं तारीख थी हालांकि इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद के मक्का छोड़कर मदीना के लिए जाने वाले दिन यानि हिजरत से हुई इसलिए इस्लामिक कैलेंडर को हिज्री कैलेंडर कहते है ।