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पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कारगिल युद्ध में सक्रिय भूमिका स्वीकार किया

पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कारगिल युद्ध में सक्रिय भूमिका स्वीकार किया

पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने क्या बताया जाने :

रक्षा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने बताया कि 1999 में भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध में कई सैनिक मारे गए। पाकिस्तान ने युद्ध में अपनी सक्रिय भूमिका को स्वीकार किया जो कि अपने भ्रामक रुख से आश्चर्यजनक रूप से अलग है।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कहा पाकिस्तानी बहादुरों का समुदाय है जो स्वतंत्रता के महत्व और इसके लिए भुगतान करने के तरीके को अच्छे से समझता है। और चाहे वह 1948, 1965, 1971 हो या 1999 का कारगिल युद्ध हजारों सैनिकों ने देश और इस्लाम के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।

रावलपिंडी में जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) द्वारा अपनी तरह के पहले कबूलनामे में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार करते हुए पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के सैनिकों द्वारा दिए गए बलिदान के लिए श्रद्धांजलि दी।

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भारतीय रक्षा विशेषज्ञ अनिल गौर :

भारतीय रक्षा विशेषज्ञ अनिल गौर ने इस घटनाक्रम पर ध्यान केंद्रित किया और बताया कि यह कश्मीर के साथ पाकिस्तान की निरंतर रंजिश को रेखांकित करता है जो दर्शाता है कि 75 साल बाद भी उनके लिए यह मुद्दा अनसुलझा है। अनिल गौर ने कहा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना की बराबरी करना या भारत को एक विरोधी के रूप में देखना बंद करे और इसके बजाय अपने घरेलू मुद्दों, जैसे भूख और बेरोजगारी, जो उनकी आबादी को प्रभावित कर रहे हैं, को हल करने पर ध्यान करे। और पाकिस्तानी सेना हथियारों और गोला बारूद पर जो पैसा खर्च कर रही है उसको सार्वजनिक हित में काम लेना चाहिए।

भारतीय रक्षा विशेषज्ञ अनिल गौर ने कहा की कश्मीर भारत का हिस्सा है और दुनिया इसे स्वीकार करती है लेकिन पाकिस्तान ने जितने भी युद्ध लड़े और हारे हैं फिर भी वे कश्मीर के लिए बहस करते हैं।

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कारगिल युद्ध 26 जुलाई, 1999 :

कारगिल युद्ध दो महीने से अधिक समय तक लड़ा गया और 26 जुलाई, 1999 को भारत की जीत के साथ समाप्त हुआ। भारतीय सशस्त्र बलों ने उन उच्च चौकियों पर सफलतापूर्वक कब्ज़ा कर लिया जिन पर सर्दियों के महीनों के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने विश्वासघाती तरीके से कब्ज़ा किया था।

भारतीय सेना के बहादुर सैनिकों ने भारतीय वायु सेना की मदद से कारगिल युद्ध जीतने के लिए दुर्गम बाधाओं और प्रतिकूल इलाकों को पार किया। हालाँकि भारत को ड्यूटी के दौरान 500 से अधिक सैनिकों को खोने और 1,300 से अधिक घायल होने की भारी कीमत चुकानी पड़ी। इसी कारण ऑपरेशन विजय की सफलता के नाम पर हर साल 26 जुलाई को देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले देश के बहादुरों को श्रद्धांजलि दी जाती है और कारगिल विजय दिवस मनाते है।

एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने राजनीतिक मतभेदों को नफरत में नहीं बदलने का भी आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने के प्रयास कभी सफल नहीं होंगे और पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान के लोगों के बीच हार्दिक संबंध हैं जो सुरक्षा बलों के संकल्प को मजबूत करेगे।

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ :

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात पर हमेशा जोर दिया कि मुशर्रफ ने उन्हें अपनी योजनाओं के बारे में अंधेरे में रखा। 2018 के एक साक्षात्कार में नवाज शरीफ ने खुलासा किया कि वाजपेयी ने उनसे कहा था कि कारगिल की दुर्घटना में उनकी पीठ में छुरा घोंपा गया था क्योंकि यह लाहौर घोषणा के तुरंत बाद हुआ।

पाकिस्तानी सेना ने कारगिल में मारे गए अपने सैनिकों के शवों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। और भारतीय सेना ने युद्ध के बाद कारगिल सेक्टर में कई पाकिस्तानी सैनिकों के शवों को दफनाया था।

 

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