स्वामी विवेकानंद के बारे में जाने :
भारत में हर बार 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि मनायी जाती है। स्वामी विवेकानंदका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था जो भारत के सबसे महान बुद्धिजीवियों में से एक थे। योग और वेदांत को पश्चिम में पेश करने का श्रेय विवेकानंद को जाता है। विवेकानंद को आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद का जनक कहते है ।
विवेकानंद को उन्नीसवीं सदी के अंत में जागरूकता बढ़ाने और हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म का दर्जा दिलाने का श्रेय दिया जाता है।
स्वामी विवेकानंद ने धर्म संसद में भाषण में कहा था :
ऐसे धर्म से होने का गर्व जिस धर्म ने सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति सिखाई जाती हो हमारे यहां सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही नहीं बल्कि सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे ऐसे देश में होने पर गर्व है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि हम एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज के उनके सपने को पूरा करने की कोशिस करते हैं। विवेकानंद की शिक्षाएं लाखों लोगों को ताकत देती हैं। स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम में वेदांत दर्शन का प्रसार करके गरीबों की सेवा के लिए रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
स्वामी विवेकानंद ने क्या कहा जाने :
(1) – अपने जीवन में जोखिम उठाओ अगर तुम जीतते हो तो तुम नेतृत्व कर सकते हो। और तुम हारते हो तो मार्गदर्शन कर सकते हो।
(2) – सबसे बड़ा पाप है खुद को कमज़ोर समझना।
(3) – उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
(4) – सत्य को अलग-अलग तरीकों से कहा जा सकता है फिर भी सत्य एक ही होता है।
(5) – सारी शक्ति तुम्हारे भीतर है तुम सब कुछ कर सकते हो।
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(7) – तुम्हें अंदर से बाहर की ओर बढ़ना होगा कोई तुम्हें सिखा नहीं सकता कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। अपनी आत्मा के अलावा कोई दूसरा शिक्षक नहीं है।
(8) – दुनिया एक महान व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
(9) – जब तक तुम खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक तुम ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते।
(10) – एक दिन जब तुम किसी समस्या का सामना नहीं करते तुम सुनिश्चित हो सकते हो कि तुम गलत रास्ते पर चल रहे हो।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु :
स्वामी विवेकानंद का निधन 4 जुलाई 1902 हुआ। उनके शिष्य बताते है कि उन्होंने महासमाधि प्राप्त की मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं के टूटने के कारण उनकी मृत्यु हुई ऐसा कहा जाता है। विवेकानंद काअंतिम संस्कार बेलूर में गंगा नदी के तट पर किया गया जहाँ रामकृष्ण काअंतिम संस्कार किया था।