केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता कानून पर क्या कहा :
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा की सोमवार 1 जुलाई को नए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। भारतीय न्याय संहिता कानून के तहत पहला मामला एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ सार्वजनिक रास्ते में बाधा डालने पर दर्ज किया। भारतीय न्याय संहिता लागू होने से ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता खत्म हो गई। नए बीएनएस कानूनों के तहत पूरे भारत में चार मामले दर्ज किये मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र और ओडिशा।
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बीएनएस पर उच्च न्यायालय झारखंड की पर्तिकिर्या :
उच्च न्यायालय झारखंड मे सोमवार 1 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता में एक त्रुटि का संज्ञान लिया। झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आनंद सेन और सुभाष चंद ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता प्रावधान धारा 103 (2) को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। क्योकि भारतीय न्याय संहिता कानून की धारा 103 (2) में बताया गया की “जब पांच या पांच से अधिक लोगो का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है तो समूह के प्रत्येक सदस्य को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा के साथ जुर्माना भी देना होगा।” लेकिन इस त्रुटि के गंभीर परिणाम हो सकते को देखते हुए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार पत्रों में एक शुद्धिपत्र प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया।
भारतीय न्याय संहिता लागू होने से बदलाव :
1 जुलाई को तीन आपराधिक कानून लागू होने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव आए। क्रमशः
(1) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)
(2) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस)
(3) भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)
इन तीनो कानूनों ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएँ शामिल की गई जिसमे कारावास की अवधि बढ़ाने के साथ कानून को मजबूत करना और कठोर दंड लगाना है।